Takhtapalat : Teesri Duniya Mein Ameriki Dadagiri – Ed. Vijay Prashad

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Description

तख़्तापलट मार्क्सवादी पत्रकारिता और इतिहास लेखन की शानदार परंपरा में लिखी गई है। इसमें बेहद पठनीय और सहज कहानियां हैं, जो अमेरिकी साम्राज्यवाद के बारे में खुलकर बताती हैं लेकिन व्यापक राजनीतिक मुद्दों के बारीक पहलुओं को भी छोड़ती नहीं। वैसे एक तरह से यह किताब निराशा से भरी है और महान लक्ष्यों की पराजय का शोकगीत प्रस्तुत करती है। इसमें आपको कसाई मिलेंगे और भाड़े के हत्यारे भी। इसमें जनांदोलनों और लोकप्रिय सरकारों के ख़िलाफ़ साज़िश रचे जाने तथा तीसरी दुनिया के समाजवादियों, मार्क्सवादियों और कम्युनिस्टों की उस देश द्वारा हत्या करवाए जाने के वृत्तांत हैं, जहां स्वतंत्रता महज एक मूर्ति है।

लेकिन इन सबके बावजूद तख़्तापलट संभावनाओं, उम्मीदों और सच्चे नायकों की किताब है। इनमें से एक हैं बुरकीना फासो के थॉमस संकारा, जिनकी हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा था, ‘अगर आप बुनियादी बदलाव लाना चाहते हैं तो उसके लिए एक हद तक पागलपन की ज़रूरत है। इस मामले में यह नाफ़रमानी से आता है, पुराने सूत्रों को धता बताने और नए भविष्य के निर्माण के साहस से आता है। ऐसे ही पागल लोगों ने हमें वह नज़रिया दिया है, जिससे हम आज पूरे सूझबूझ के साथ काम कर रहे हैं। आज हमें वैसे ही दीवानों की ज़रूरत है। हमें भविष्य के निर्माण का साहस दिखाना होगा।’ तख़्तापलट कुछ ऐसे ही पागलपन और भविष्य रचने के साहस से भरी एक किताब है।

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